इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि बालिग महिला को अपनी पसंद व शर्तों पर पति के साथ बिना किसी बाधा के जीवन जीने का अधिकार है.
कोर्ट ने एटा जिले की एक युवती द्वारा दूसरे धर्म के व्यक्ति से शादी करने को जायज ठहराया और उस व्यक्ति के खिलाफ दर्ज एफआईआर रद्द कर दी. बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस पंकज नकवी और जस्टिस विवेक अग्रवाल की बेंच ने 28 दिसंबर को दिए एक फैसले में कहा कि याचिकाकर्ता शिखा हाईस्कूल के प्रमाण पत्र के मुताबिक बालिग हो चुकी है, उसे अपनी इच्छा और शर्तों पर जीवन जीने का हक है. उसने अपने पति सलमान उर्फ करण के साथ जीवन जीने की इच्छा जताई है इसलिए वह आगे बढ़ने को स्वतंत्र है.
एटा जिले के कोतवाली देहात पुलिस थाने में 27 सितंबर, 2020 को दर्ज एफआईआर को कोर्ट ने रद्द कर दिया.
इससे पूर्व एटा जिले के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने 7 दिसंबर, 2020 के अपने आदेश में शिखा को बाल कल्याण समिति को सौंप दिया था. जिसने 8 दिसंबर, 2020 को शिखा को उसकी इच्छा के बगैर उसके मां-बाप को सौंप दिया.
इस पर अदालत ने तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि इनके कार्य से कानूनी प्रावधान समझने में इनकी क्षमता की कमी सामने आई है. कोर्ट ने कहा कि किशोर न्याय अधिनियम 2015 की धारा 95 से स्पष्ट है कि यदि स्कूल का जन्म प्रमाणपत्र उपलब्ध है तो अन्य साक्ष्य द्वितीय माने जाएंगे
अदालत के निर्देश पर शिखा को पेश किया गया जिसने बताया कि हाईस्कूल प्रमाण पत्र के मुताबिक उसकी जन्म तिथि 4 अक्टूबर, 1999 है और वह बालिग है.
कोर्ट ने कहा कि याची बालिग है. वह अपनी मर्जी से जहां चाहे, जा सकती है. कोर्ट ने मजिस्ट्रेट के आदेश को कानून के विपरीत करार दिया. कोर्ट में उपस्थित याची ने कहा कि वह बालिग है और उसने सलमान से शादी की है। वह अपने पति के साथ रहना चाहती है.