पूर्वांचल खबर
अल्लाह की मर्जी के बगैर पता भी नहीं हिलता तो मैं डॉक्टर अयूब जेल से बाहर कैसे आ सकता हूं.मेरा आका मेरा रब जिस हाल में रखे इसका शुक्र है जेल में आए मुझे एक महीना हो गया है जिंदगी में जेल आने पर अजीब महसूस हुआ. तरह तरह के विचार दिमाग मे आते रहे कभी लगा कि मैंने अपने दुश्मन का भी बुरा न चाहा और ना बुरा किया और जिसके नाम से मेरे खिलाफ मुकदमा किया गया. इस खानदान में मेरी ना कोई दुश्मनी है ना दोस्ती. फिर(एमआईएम) के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओवेसी और इनकी पार्टी के लोग मेरे खिलाफ साजिश मे क्यों इतना दिलचस्पी ले रहे हैं. यह सभी जाने मेरे दिमाग में कोई वजह समझ में नहीं आ रही है मैंने पाया है कि लोगों की मदद करने के बजाए मैंने किसी का बुरा करना तो दूर अपनी दुश्मनों के खिलाफ बुरा सोचा तक नहीं फिर में जेल मे क्यों? मैं जेल की अफसरो बंदियों और कैदियों से मिलकर यहां के हालात जानने की कोशिश करने लगा और पाया कि तकरीबन 60 प्रतिशत कैदी बेगुनाह हैं और कुल बंदी व कैदियों में 35% मुसलमान हैं. कुछ ऐसे हैं जिनके घर वालों को पता नहीं कि वह जेल में हैं. कहीं सफर कर रहे थे या बाजार गए थे पुलिस ने इन्हे जेल मे डाल दिया. कुछ ऐसे हैं जिनके घर कोई नहीं है और अगर हैं भी तो बूढे मां बाप जो कुछ कर नहीं सकते.कुछ ऐसे है कि जिस जुर्म मे उन्हें जेल में डाला गया है.उस जुर्म की सजा से ज्यादा समय जेल मे बिता चुके हैं. मगर कोई इनकी पैरवी करने वाला है ना इनका मुकदमा शुरू हुआ.मैंने जेल के अफसरों से मदद की पेशकश की इन्होंने सुझाव दिया कि अर्थदंड मे जो कैदी सजा काट रहे हैं इन के जुर्माने की रकम आप जमा कर दें तो इन्हे तत्काल रिहा कर दिया जायेगा.
मैंने एक लाख 40 हजार रुपए आज तक जेल प्रशासन को जमा कराए और 22 कैदी रिहा हुए. दूसरा काम जिनकी छोटी जमानत थी वह रकम जमा करके इन्हे छुडाने मे वक्त लग रहा है.और यह काम चल रहा है ईद बिल्कुल करीब है मैंने देखा कि जुम्मा की नमाज में बहुत सारे कैदी बंदी फटे पुराने कपड़े पहने हुए थे. जेल प्रशासन ने पूरी जेल के बंदी कैदी का सर्वे कराया और 75 कैदियों की पहचान हुई मैंने 75 पीस नया कुर्ता और पैजामा बाजार से मंगवाया और जेल प्रशासन को दे दिए. ईद के दिन पहले सभी बंदी कैदियों को कपड़ा बाटवाया.जेल में आकर एक अलग दुनिया का एहसास हुआ अगर मैं यहां ना आता तो शायद यहां के हालात से वाकिफ ना हो पाता. मै महसूस करता हूं कि मेरी किस्मत में जेल की लोगों के लिए इतना काम तथा जो मुझे करना था आगे जो अल्लाह की मर्जी होगी वह होगा.मुझे नहीं मालूम मगर एक बात हैं कि जेल में आने का मलाल बिल्कुल नहीं है. मेरा इरादा अपने मिशन के प्रति पक्का व मजबूत हुआ. जेल से निकलने के बाद आप सभी की दुआएं रहें तो इंशाअल्लाह और मजबूती से काम होगा.
मेरे दुश्मन मुझे जेल तो भेज सकते हैं मगर मेरे जज्बात व इरादे और मेरे मिशन को कमजोर नही कर सकते.आप की दुआएं और अल्लाह की मदद हमारे साथ है.
डा.मोहम्मद अय्यूब,जिला जेल(लखनऊ)
अल्लाह की मर्जी के बगैर पता भी नहीं हिलता तो मैं डॉक्टर अयूब जेल से बाहर कैसे आ सकता हूं.मेरा आका मेरा रब जिस हाल में रखे इसका शुक्र है जेल में आए मुझे एक महीना हो गया है जिंदगी में जेल आने पर अजीब महसूस हुआ. तरह तरह के विचार दिमाग मे आते रहे कभी लगा कि मैंने अपने दुश्मन का भी बुरा न चाहा और ना बुरा किया और जिसके नाम से मेरे खिलाफ मुकदमा किया गया. इस खानदान में मेरी ना कोई दुश्मनी है ना दोस्ती. फिर(एमआईएम) के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओवेसी और इनकी पार्टी के लोग मेरे खिलाफ साजिश मे क्यों इतना दिलचस्पी ले रहे हैं. यह सभी जाने मेरे दिमाग में कोई वजह समझ में नहीं आ रही है मैंने पाया है कि लोगों की मदद करने के बजाए मैंने किसी का बुरा करना तो दूर अपनी दुश्मनों के खिलाफ बुरा सोचा तक नहीं फिर में जेल मे क्यों? मैं जेल की अफसरो बंदियों और कैदियों से मिलकर यहां के हालात जानने की कोशिश करने लगा और पाया कि तकरीबन 60 प्रतिशत कैदी बेगुनाह हैं और कुल बंदी व कैदियों में 35% मुसलमान हैं. कुछ ऐसे हैं जिनके घर वालों को पता नहीं कि वह जेल में हैं. कहीं सफर कर रहे थे या बाजार गए थे पुलिस ने इन्हे जेल मे डाल दिया. कुछ ऐसे हैं जिनके घर कोई नहीं है और अगर हैं भी तो बूढे मां बाप जो कुछ कर नहीं सकते.कुछ ऐसे है कि जिस जुर्म मे उन्हें जेल में डाला गया है.उस जुर्म की सजा से ज्यादा समय जेल मे बिता चुके हैं. मगर कोई इनकी पैरवी करने वाला है ना इनका मुकदमा शुरू हुआ.मैंने जेल के अफसरों से मदद की पेशकश की इन्होंने सुझाव दिया कि अर्थदंड मे जो कैदी सजा काट रहे हैं इन के जुर्माने की रकम आप जमा कर दें तो इन्हे तत्काल रिहा कर दिया जायेगा.
मैंने एक लाख 40 हजार रुपए आज तक जेल प्रशासन को जमा कराए और 22 कैदी रिहा हुए. दूसरा काम जिनकी छोटी जमानत थी वह रकम जमा करके इन्हे छुडाने मे वक्त लग रहा है.और यह काम चल रहा है ईद बिल्कुल करीब है मैंने देखा कि जुम्मा की नमाज में बहुत सारे कैदी बंदी फटे पुराने कपड़े पहने हुए थे. जेल प्रशासन ने पूरी जेल के बंदी कैदी का सर्वे कराया और 75 कैदियों की पहचान हुई मैंने 75 पीस नया कुर्ता और पैजामा बाजार से मंगवाया और जेल प्रशासन को दे दिए. ईद के दिन पहले सभी बंदी कैदियों को कपड़ा बाटवाया.जेल में आकर एक अलग दुनिया का एहसास हुआ अगर मैं यहां ना आता तो शायद यहां के हालात से वाकिफ ना हो पाता. मै महसूस करता हूं कि मेरी किस्मत में जेल की लोगों के लिए इतना काम तथा जो मुझे करना था आगे जो अल्लाह की मर्जी होगी वह होगा.मुझे नहीं मालूम मगर एक बात हैं कि जेल में आने का मलाल बिल्कुल नहीं है. मेरा इरादा अपने मिशन के प्रति पक्का व मजबूत हुआ. जेल से निकलने के बाद आप सभी की दुआएं रहें तो इंशाअल्लाह और मजबूती से काम होगा.
मेरे दुश्मन मुझे जेल तो भेज सकते हैं मगर मेरे जज्बात व इरादे और मेरे मिशन को कमजोर नही कर सकते.आप की दुआएं और अल्लाह की मदद हमारे साथ है.
डा.मोहम्मद अय्यूब,जिला जेल(लखनऊ)

