यह रैली शहर के सत्यम पैलेस होटल में आयोजित की गई, जहां बतौर मुख्य अतिथि कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव सत्यनारायण पटेल शामिल हुए।
पटेल का स्वागत कांग्रेस जिलाध्यक्ष काजी सुहेल अहमद की अगुवाई में स्थानीय कार्यकर्ताओं ने ज़ोरदार तरीक़े से किया। रैली का उद्देश्य संविधान की रक्षा और लोकतांत्रिक मूल्यों की बहाली को लेकर जनजागरूकता फैलाना था।
"धार्मिक स्थलों को बनाया जा रहा है निशाना" – अकील अहमद
कार्यक्रम के दौरान सामाजिक कार्यकर्ता और कांग्रेस समर्थक अकील अहमद उर्फ़ मुन्नू ने मंच से भारत-नेपाल सीमा पर स्थित मदरसों और मस्जिदों पर चल रही बुलडोज़र कार्रवाई का मुद्दा गंभीरता से उठाया।
उन्होंने कहा, "प्रशासन द्वारा डराने-धमकाने की नीति अपनाकर सीमाई इलाकों में धार्मिक स्थलों और शिक्षण संस्थानों को निशाना बनाया जा रहा है। जिन मस्जिदों और मदरसों की स्थापना आज़ादी से पहले हुई, उन्हें भी हटाया जा रहा है। जबकि ये भवन राजस्व अभिलेखों में दर्ज हैं और चकबंदी के दौरान प्रशासनिक त्रुटियों के कारण इधर-उधर दर्ज हो गए थे।"
अकील अहमद ने आगे कहा कि जब स्थानीय लोग इस कार्रवाई का विरोध करते हैं, तो प्रशासन इसे केंद्र सरकार का निर्देश बताकर पल्ला झाड़ लेता है।
कांग्रेस नेतृत्व से हस्तक्षेप की मांग
अकील अहमद ने कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव से मांग की कि इस गंभीर मुद्दे को पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के समक्ष रखा जाए, ताकि संसद में इस कार्रवाई के खिलाफ आवाज उठाई जा सके और स्थानीय लोगों को राहत मिल सके।
"मैं चाहता हूं कि इस आवाज को राष्ट्रीय मंच पर उठाया जाए, ताकि सीमावर्ती क्षेत्र की जनता को न्याय मिल सके और संविधान में प्रदत्त धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा की जा सके," उन्होंने कहा।
कांग्रेस नेताओं ने जताई गंभीरता
अकील अहमद की बातों को रैली में मौजूद वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं ने गंभीरता से लिया और अपने संबोधनों में इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया।
कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव सत्यनारायण पटेल ने भी अपने वक्तव्य में आश्वस्त किया कि वह इस विषय को पार्टी के शीर्ष नेतृत्व तक पहुंचाएंगे और संसद से लेकर पार्टी मंचों पर इसकी आवाज़ बुलंद की जाएगी।
“भारत के संविधान में सभी धर्मों को समान अधिकार दिए गए हैं। अगर कहीं इन अधिकारों का हनन हो रहा है, तो कांग्रेस उसे हर मंच पर उठाएगी।
‘संविधान बचाओ रैली’ में जहां एक ओर लोकतंत्र और संविधान की रक्षा का संकल्प लिया गया, वहीं दूसरी ओर सीमाई क्षेत्रों में अल्पसंख्यक समुदाय के साथ हो रहे कथित व्यवहार पर चिंता भी जताई गई। अब यह देखना अहम होगा कि कांग्रेस पार्टी इस मुद्दे को कितनी गंभीरता से आगे बढ़ाती है और संसद में इसकी गूंज सुनाई देती है या नहीं।
पूर्व सांसद मोहम्मद मुकीम, अरशद खुर्शीद, जयकरण वर्मा ने भाजपा की डबल इंजन सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि एक ओर सरकार संविधान को खत्म करने में लगी है, वहीं आम जनता मूलभूत सुविधाओं के लिए परेशान है। कांग्रेस ने ऐलान किया कि वह संविधान की रक्षा के लिए सड़क से संसद तक संघर्ष करेगी।
इस मौके पर कई कांग्रेस कार्यकर्ता और नेता मौजूद रहे जिनमें किरण शुक्ला, देवेंद्र गुड्डू, कृष्ण बहादुर सिंह, अकील अहमद, नादिर सलाम, पंकज चतुर्वेदी, असलम खुर्शीद, गंगेश राय, पवन पांडेय, सादिक अहमद, रियाज़ मनीहार, आसिफ रिजवी, राम चन्दर पांडेय, ऋषिकेश मिश्रा, मेनुद्दीन, संतोष त्रिपाठी, अशोक गुप्ता आदि शामिल रहे।