मौलाना की नमाजे जनाजा 19 जनवरी को असर के नामाज के बाद अदा की जाएगी। जिसके बाद उन्हें
झंडेनगर कब्रिस्तान में सुपुर्द ए खाक किया जाएगा।
मौलाना अब्दुल रशीद ने अपनी पूरी जिंदगी इस्लाम की तालीम और समाजी खिदमत को समर्पित कर दी। जामिया आयशा गर्ल्स कॉलेज की बुनियाद और तरक्की में उनका अहम किरदार रहा। उन्होंने खासतौर पर मुस्लिम लड़कियों की तालीम पर जोर दिया और इस्लामी और आधुनिक शिक्षा का बेहतरीन संगम पेश किया।
उनकी शख्सियत एक मसीहा की तरह थी। वह हमेशा गरीबों और मजबूरों की मदद के लिए तैयार रहते थे और समाज में अमन-ओ-भाईचारे का पैगाम फैलाते थे। उनके वाज-ओ-नसीहत और दीनी तालीमात से हजारों लोगों ने फायदा उठाया।
उनके इंतकाल से जामिया आयशा गर्ल्स कॉलेज और पूरे भारत- नेपाल के सीमाई लोगों को बड़ी क्षति पहुंची है। तमाम मजहबी और समाजी रहनुमाओं ने उनके इंतकाल पर अफसोस का इज़हार किया और उनके लिए दुआएं कीं।