हिंडनबर्ग की शुरूआत
हिंडनबर्ग रिसर्च एक अमेरिकी वित्तीय शोध कंपनी और शॉर्ट-सेलिंग फर्म है, जिसे 2017 में नैट एंडरसन ने स्थापित किया था। यह कंपनी मुख्य रूप से कॉरपोरेट धोखाधड़ी, लेखांकन अनियमितताओं और अन्य वित्तीय विसंगतियों की जांच करती थी। हिंडनबर्ग ने कई हाई-प्रोफाइल कंपनियों के खिलाफ खुलासे किए हैं, जिससे उनकी विश्वसनीयता और बाजार मूल्य पर गहरा प्रभाव पड़ा।
प्रमुख घटनाएँ जिनके कारण चर्चा में आया हिंडनबर्ग
1. अडानी समूह की रिपोर्ट (2023): हिंडनबर्ग ने अडानी समूह पर स्टॉक हेरफेर और वित्तीय धोखाधड़ी के गंभीर आरोप लगाए थे। इस रिपोर्ट ने वैश्विक स्तर पर बड़ा विवाद खड़ा किया और अडानी समूह के शेयरों की कीमतों में भारी गिरावट आई।
रिपोर्ट में लगाए गए प्रमुख आरोप:
स्टॉक हेरफेर
हिंडनबर्ग ने आरोप लगाया कि अडानी समूह के अंदरूनी लोग और सहयोगी कंपनियां शेयर की कीमतें बढ़ाने के लिए कृत्रिम मांग पैदा कर रही थीं।
शेल कंपनियों का उपयोग
समूह पर सैकड़ों विदेशी शेल कंपनियों का उपयोग करके धनशोधन और वित्तीय अनियमितताएं करने का आरोप लगाया गया।
अत्यधिक कर्ज
रिपोर्ट में दावा किया गया कि अडानी समूह ने अत्यधिक कर्ज लेकर अपनी संपत्ति का दुरुपयोग किया, जिससे निवेशकों को बड़ा जोखिम था।
लेखांकन अनियमितताएं
कंपनी पर अपने वित्तीय दस्तावेजों में गड़बड़ी करने और आय को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाने का आरोप लगाया गया।
अडानी समूह की प्रतिक्रिया
अडानी समूह ने हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को "झूठा" और "आधारहीन" बताते हुए इसे बदनाम करने का प्रयास कहा। उन्होंने दावा किया कि उनकी कंपनियों के सभी वित्तीय लेनदेन पारदर्शी और कानून के अनुसार हैं।
हिंडनबर्ग का मूल उद्देश्य
हिंडनबर्ग का मिशन था उन कंपनियों और संस्थाओं की पहचान करना जो वित्तीय अनियमितताओं और धोखाधड़ी में शामिल थीं।
हिंडनबर्ग रिसर्च क्यों बंद हुआ
हिंडनबर्ग रिसर्च के बंद होने की घोषणा 15 जनवरी 2025 को हुई। संस्थापक नैट एंडरसन ने इसे व्यक्तिगत कारणों से लिया गया निर्णय बताया। उनका कहना था कि उन्होंने अपने उद्देश्य को पूरा कर लिया है और अब आगे नई दिशा में बढ़ने का समय है।
हिंडनबर्ग रिसर्च ने अपनी विवादित लेकिन प्रभावशाली भूमिका से वित्तीय और कॉर्पोरेट जगत में एक बड़ी छाप छोड़ी।