यूपी सरकार में बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी के भाई अरुण द्विवेदी ने भारी विरोध के बाद सिद्धार्थ यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद से इस्तीफा दे दिया है. इसके पीछे उन्होंने व्यक्तिगत कारणों का हवाला दिया है. यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो.सुरेन्द्र दुबे ने उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया है.
जानकारी के मुताबिक मंत्री के भाई अरुण द्विवेदी ने ईडब्ल्यूएस (आर्थिक रूप से कमजोर) में सिद्धार्थ यूनिवर्सिटी के मनोविज्ञान विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर 21 मई को ज्वाइन किया था। इसके तुरंत बाद से ही भारी विवाद शुरू हो गया था.
मंत्री के भाई पर डॉक्टर अरुण द्विवेदी पर आरोप है कि उन्होंने अपनी पत्नी डॉ.विदुषी दीक्षित के नौकरी में रहते हुए और उन्हें करीब 70 हजार रुपए मासिक से ज्यादा वेतन मिलते हुए भी गलत ढंग से ईडब्ल्यूएस सर्टिफिकेट हासिल किया था.
आरोप लगा कि मंत्री ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए गलत ढंग से अपने भाई की नियुक्ति विवि में करा दी. राजभवन से जवाब-तलब किए जाने के बाद विवि में हड़कंप मच गया था. विश्वविद्यालय प्रशासन से जुड़े अफसर जवाब तैयार करने में जुटे थे। इस बारे में कुलपति प्रो. सुरेंद्र दुबे का कहना है कि राजभवन से मंत्री के भाई की नियुक्ति के मामले में जो भी जानकारी मांगी गई थी, उसे भेज दिया गया है.
इस मामले में भारी विरोध को देखते हुए डा.अरुण द्विवेदी ने बुधवार को खुद इस्तीफा देकर मामले को लेकर छिड़े विवाद को थामने की कोशिश की है.
अरुण द्विवेदी का ईडब्ल्यूएस प्रमाणपत्र 2019 में जारी हुआ था. इस पर उन्हें 2021 में सिद्धार्थ यूनिवर्सिटी में नौकरी मिली. 2019-20 के लिए ईडब्ल्यूएस प्रमाणपत्र जारी किया गया था, जो मार्च 2020 तक मान्य था.
इधर, प्रमाणपत्र बनने की प्रक्रिया से जुड़े कर्मचारियों और अफसरों के बयान में भी विरोधाभास सामने आया है. गांव के लेखपाल छोटई प्रसाद ने से कहा कि उन्होंने प्रमाण पत्र पर कोई रिपोर्ट नहीं लगाई है. उन्हें इस बारे में जानकारी भी नहीं है. जबकि एसडीएम उत्कर्ष श्रीवास्तव का कहना है कि नवंबर 2019 में प्रमाणपत्र जारी हुआ है. इसमें आठ लाख से कम आय की रिपोर्ट लगने के बाद जारी हुआ है। रिपोर्ट पर लेखपाल छोटई प्रसाद के हस्ताक्षर हैं. अब वह कुछ भी कहें पर हस्ताक्षर उन्हीं के हैं. फ़िलहाल मंत्री के भाई अरुण द्विवेदी के इस्तीफे के बाद देखना ये है कि ये विवाद थमेगा या और बढ़ेगा.
जानकारी के मुताबिक मंत्री के भाई अरुण द्विवेदी ने ईडब्ल्यूएस (आर्थिक रूप से कमजोर) में सिद्धार्थ यूनिवर्सिटी के मनोविज्ञान विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर 21 मई को ज्वाइन किया था। इसके तुरंत बाद से ही भारी विवाद शुरू हो गया था.
मंत्री के भाई पर डॉक्टर अरुण द्विवेदी पर आरोप है कि उन्होंने अपनी पत्नी डॉ.विदुषी दीक्षित के नौकरी में रहते हुए और उन्हें करीब 70 हजार रुपए मासिक से ज्यादा वेतन मिलते हुए भी गलत ढंग से ईडब्ल्यूएस सर्टिफिकेट हासिल किया था.
आरोप लगा कि मंत्री ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए गलत ढंग से अपने भाई की नियुक्ति विवि में करा दी. राजभवन से जवाब-तलब किए जाने के बाद विवि में हड़कंप मच गया था. विश्वविद्यालय प्रशासन से जुड़े अफसर जवाब तैयार करने में जुटे थे। इस बारे में कुलपति प्रो. सुरेंद्र दुबे का कहना है कि राजभवन से मंत्री के भाई की नियुक्ति के मामले में जो भी जानकारी मांगी गई थी, उसे भेज दिया गया है.
इस मामले में भारी विरोध को देखते हुए डा.अरुण द्विवेदी ने बुधवार को खुद इस्तीफा देकर मामले को लेकर छिड़े विवाद को थामने की कोशिश की है.
अरुण द्विवेदी का ईडब्ल्यूएस प्रमाणपत्र 2019 में जारी हुआ था. इस पर उन्हें 2021 में सिद्धार्थ यूनिवर्सिटी में नौकरी मिली. 2019-20 के लिए ईडब्ल्यूएस प्रमाणपत्र जारी किया गया था, जो मार्च 2020 तक मान्य था.
इधर, प्रमाणपत्र बनने की प्रक्रिया से जुड़े कर्मचारियों और अफसरों के बयान में भी विरोधाभास सामने आया है. गांव के लेखपाल छोटई प्रसाद ने से कहा कि उन्होंने प्रमाण पत्र पर कोई रिपोर्ट नहीं लगाई है. उन्हें इस बारे में जानकारी भी नहीं है. जबकि एसडीएम उत्कर्ष श्रीवास्तव का कहना है कि नवंबर 2019 में प्रमाणपत्र जारी हुआ है. इसमें आठ लाख से कम आय की रिपोर्ट लगने के बाद जारी हुआ है। रिपोर्ट पर लेखपाल छोटई प्रसाद के हस्ताक्षर हैं. अब वह कुछ भी कहें पर हस्ताक्षर उन्हीं के हैं. फ़िलहाल मंत्री के भाई अरुण द्विवेदी के इस्तीफे के बाद देखना ये है कि ये विवाद थमेगा या और बढ़ेगा.