मोहम्मद आरिफ खान:लोकसभा चुनाव करीब है उत्तर प्रदेश के संतकबीर नगर जिले में असली दंगल चल रहा है। कुछ दिन पहले सपाइयों ने अपने ही जिला उपाध्यक्ष का तोड़ डाला था तो इस बार भाजपा सांसद ने अपने ही विधायक को पीट डाला वो भी जूतों से।
उत्तर प्रदेश का संतकबीर जिला चुनावी दंगल के बजाय असली दंगल में तब्दील हो चुका है। कब क्या ब्रेकिंग न्यूज आ जाए कुछ पता नहीं। कोई रो रहा है कोई पैर तोड़ रहा है और कोई जूते बरसा रहा है। ये सब कुछ संतकबीर नगर में हो चुका है। पिछेल 10 दिनों के अंदर।
24 फरवरी 2019 संतकबीर नगर
इस दंगल की शुरुआत हुई थी सामाजवादी पार्टी से बीते 24 फरवरी को एक टीवी डिबेट में सपा कार्यकर्ता आए थे। डिबेट शुरू हुआ कि सपाई आपस में भिड़ गए जमकर गाली गलौज हुआ फिर चलीं कुर्सियां और अंत सपाइयों ने अपने ही पार्टी के जिला महासचिव का पैर तोड़ डाला।
26 फरवरी 2019 संतकबीर नगर
आगे बढ़ते हैं जब भालचंद यादव इमोशनल हो गए, मंच पर रोने लगे।
पूर्वांचल के राजनीति के धाकड़ नेता भालचंद यादव पूर्वांचल की राजनीति में मजबूत पकड़ रखते हैं। लेकिन सपा-बसपा गठबंधन के सीट बटवारें के फैसले में सपा के इस नेता की कश्ती डूब गई। मतलब ये कि बस्ती मण्डल की सभी सीटों पर बहन जी ने कब्जा कर लिया। जिसमे संकबीरनगर की सीट भी आती है।
ऐसे में सपा नेता भालचंद यादव और उनके समर्थकों के अरमानों पर पानी फिर गया। फिर 26 फरवरी को भालचंद यादव ने सभी कार्यकर्तओं को अपने घर बुलाया जहाँ गठबंधन में सीट और टिकट ना मिलने का दर्द साफ दिख रहा था। जैसे ही वह कार्यकर्तओं को संबोधित करने के लिए खड़े हुए रोने लगे। जिसके बाद कार्यकर्ता जोर जोर से भालचंद यादव जिन्दाबाद के नारे लगाते हुए यह कहने लगे कि नेता जी आपके ये आँसू बर्बाद नहीं होंगे।
6 मार्च 2019 संतकबीर नगर
कलेक्ट्रेट में जिला कार्यसमिति योजना की बैठक चल रही थी। सांसद विधायक, डीएम और अन्य अधिकारी मौजूद थे। इसी बीच संकबीरनगर के सांसद शरद त्रिपाठी को गुस्सा आ गया और उन्होंने अपना जूता निकाल अपनी ही पार्टी के विधायक राकेश सिंह को पीटने लगे। सांसद और विधायक के बीच फाउंडेशन स्टोन पर नाम लिखवाने को लेकर विवाद हो गया जिसके बाद जमकर जूता और घूँसा चला।
विधायक समर्थको ने कलेक्ट्रेट घेर लिया पुलिस ने लाठीचार्ज कर मामले को संभाला फिर बीजेपी विधयाक धरने पर बैठ गए। उसके बाद लखनऊ से लेकर संतकबीर नगर तक हड़कंप मच गया। जिसे लेकर बीजेपी को जमकर बदनामी झेलनी पड़ी।
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