मोहम्मद आरिफ खान:लोकसभा चुनाव के करीब आते ही सियासी पारा बढ़ चुका है। उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा के गठबंधन के बाद गुरुवार को सीटों का ऐलान कर दिया गया है। गोरखपुर बस्ती मंडल में लोकसभा की कुल 9 सीटों में 3 पर समाजवादी व 6 पर बसपा चुनाव लड़ेगी। जबकि बस्ती मंडल से सपा पूरी तरह साफ हो चुकी है।
सीटों के बटवारे में पीस पार्टी और निषाद पार्टी को कोई जगह नही दी गई जिससे कार्यकर्ताओं में निराशा और गुस्सा है। ये दोनो पार्टियां लोकसभा उपचुनाव से ही समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन में शामिल हैं। उपचुनाव में सपा प्रत्याशी की जीत में इन दोनों पार्टियों का महत्वपूर्ण भूमिका थी। इनके कार्यकर्ताओं पूरी जिम्मेदारी से गठबंधन धर्म निभाया था लेकिन अब निषाद व पीस पार्टी के कार्यकर्ता सीट ना दिए जाने से सोशल मीडिया पर कार्यकर्ता अपने गुस्से का इजहार कर रहे हैं।
सपा बसपा गठबंधन होने के बाद एक टीवी चैनल से बातचीत के दौरान गठबंधन में सीटों के सवाल पर पीस पार्टी के अध्यक्ष डॉ अय्यूब ने कहा था कि बिना सीट के गठबंधन हो ही नही सकता। उन्होंने कहा था कि पीस पार्टी गठबंधन का हिस्सा है और समय आने पर सही फैसला हो जाएगा। लेकिन समय आया और पीस पार्टी को गठबंधन में एक भी सीट नही मिली है। अब डॉ अय्यूब का अगला कदम क्या होगा ये देखना दिलचस्प है।
उपचुनाव में गोरखपुर से सपा ने निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय निषाद के बेटे प्रवीण निषाद को मैदान में उतारा था। अब देखना ये होगा कि क्या प्रवीन निषाद को सपा दोबारा प्रत्याशी बनाती है या नही।
सीटों के बंटवारे के तहत सपा दोनों मंडलो में गोरखपुर, महराजगंज और कुशीनगर लोकसभा सीट से उम्मीदवार उतारेगी। सपा को बस्ती मण्डल में एक भी सीट नही मिली है। पिछले लोकसभा चुनाव में बस्ती सीट पर सपा दूसरे नम्बर की पार्टी थी। वही बसपा बस्ती, डुमरियागंज, संतकबीरनगर, देवरिया, बांसगांव और महाराजगंज में दूसरे नम्बर पर थी। 2014 के लोकसभा चुनाव में इन सभी सीटों पर भाजपा ने जीत दर्ज किया था।
2009 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी को सिर्फ गोरखपुर और बांसगांव बसपा को बस्ती, संतकबीरनगर, सलेमपुर, देवरिया कांग्रेस को कुशीनगर, महाराजगंज और डुमरियागंज की सीट पर जीत मिली थी। गोरखपुर लोकसभा उपचुनाव के बाद दोनों मंडलो में बीजेपी के कब्जे में आठ और सपा के कब्जे में एक लोकसभा सीट है।