मोहम्मद आरिफ खान:पुलवामा हमले के बाद एक तरफ जहां पूरा देश एकजुटता का संदेश दे रहा है एक दूसरे के कंधे से कंधा मिलाकर चलने का ऐलान कर रहा है शहीद जवानों के परिवार को हौसला देने की कोशिश कर रहा है। इनके गम को हल्का करने में मदद कर रहा है। लेकिन एक विशेष वर्ग अपने फायदे के लिए देश के ताने-बाने बिखेरने में व्यस्त है।
हमें इस समय बंदूक, तलवार और जुबान के द्वारा नहीं लड़ना है। बल्कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की तरह खाली हाथ बहुत समझदारी के साथ तूफान का मुकाबला करना है।
आखिर ये कैसे सम्भव है कि हम अपने ही नागरिकों को निशाना बनाकर, अपने ही लोगों को दुश्मन या गद्दार ठहरा कर, अमन की बात करने वाले पत्रकारों व अन्य लोगों को गाली गलौज देकर और जान से मारने की धमकियां देकर दुश्मन से मुकाबला कर सकते हैं?
सोशल मिडिया पर अमन चैन की बात करने वालों के खिलाफ अभद्र टिप्पणियां बताती हैं कि किस तरह देश के नवजवानों के दिमाग में नफरत का जहर घोला गया है। इस का अंजाम हमारा दुश्मन नही, बल्कि इस देश का नागरिक ही भुगत रहा है। किसी भी घटना के बाद देश के कुछ संगठन और राजनैतिक पार्टियां अपने फायदे के लिए इस तर्क को वैधता प्रदान करता है कि देश के मुसलमानों की सहानभूति पाकिस्तान के साथ है। ऐसी घटनाएं जाहिर करती हैं कि देश के अंदर मुसलमानों को देशद्रोही बताने को लेकर कितना ज्यादा उतावलापन है।
पुलवामा में देश के लिए अपना जीवन अर्पित करने वाले जवानों की शहादत को एक तरफ रख कर सत्ताधारी पार्टी अपनी राजनैतिक रोटियां सेंक रही है और इनके कार्यकर्ता अपने ही देश के लोगों पर हमलावर हैं। ये लोग आखिर इस देश को किस राह पर ले जाना चाहते है? इन्होंने अपनी आंखों पर पर्दा क्यों डाल लिया है? क्या इन्हें मुस्लिम इलाकों, मदरसों, मस्जिदों और मुस्लिम संगठनों की तरफ से बुलन्द होने वाली आवाजें सुनाई नही देती?
पुलवामा हमले के बाद के उर्दू के अखबार उठाकर क्यों नही देखते कि जिस वर्ग को वो शक की नजर से देख रहें हैं, इन्हें निशाना बनाने की कोशिश कर रहें हैं। वह वर्ग पुलवामा मामला, आतंकवाद और दुश्मनों के खिलाफ किस कदर गुस्से में हैं।
यहाँ उर्दू अखबार का नाम इसलिए लेना पड़ा क्योंकि देश भर के मदरसों, मस्जिदों और मुस्लिम संगठनों द्वारा आतंकवाद और पाकिस्तान के खिलाफ बुलन्द होने वाली आवाजें हिंदी और अंग्रेजी के अखबारों में बहुत कम दिखी। हाँ अगर कोई नाकारात्मक खबर हो तो ज़रूर इनकी हैडलाइन बन जाती है।