सिद्धार्थनगर : अप्रैल माह समाप्ति की ओर बढ़ रहा है। इसके साथ ही क्षेत्र के अधिकांश ताल-तलैया में पानी भी खत्म हो गया है। कुछ तालाब तो ऐसे हैं जो पिछले महीने से सूख चुके हैं। ऐसे में उन पशुपालकों के लिए परेशानी खड़ी हो गई है, जो तालाब-पोखरे में अपने पशु को नहलाते-धुलाते थे, यही नहीं मवेशियों के समक्ष पेयजल संकट भी खड़ा होने लगा है। तालाब तो सूखे ही हैं, अगल-बगल की नहरें भी बेपानी हैं, जिसकी वजह से परेशानी और ज्यादा हो गई है।
तहसील अन्तर्गत ग्राम मझारीमय कोहल स्थित तालाब इन दिनों पूरी तरह सूख चुका है। चूंकि गत वर्ष मानसून में अच्छी बरसात नहीं हुई, उसकी वजह से जो छोटे-छोटे गड्ढे थे, उसी में पानी भर सका था। बड़े तालाब व आदर्श जलाशय में तो नाम मात्र पानी भरा था, जो कुछ ही दिनों में खत्म हो गया। तरहर, गोपिया, वीरपुर, बढ़या आदि गांव की तरह मझारी मय कोहल ऐसा गांव है जहां जलाशय सूख गए हैं। तालाब सूखने का खामियाजा बेजुबानों को भी भुगतना पड़ता है। गर्मी का मौसम अपना तेवर दिखा रही है। ऐसे में तालाब में पानी भरे रहने से न केवल उनकी प्यास बुझने का सहारा रहता है, वरन उनके नहाने की भी सुविधा उपलब्ध रहती है, परंतु ऐसा कुछ भी नहीं हो पा रहा है। कहने को तो महीने की शुरूआत में ही प्रशासन ने सभी सूखे तालाब व आदर्श जलाशयों में पानी भराने संबंधित हिदायत दी थी, लेकिन अभी तक इस पर अमल होता नजर नहीं आ रहा है। मंगल यादव, अकबर, प्रेम, फिरोज अहमद, मैसू आदि ने कहा कि तालाब में पानी सूखने से बड़ी दिक्कतें हो रही हैं। इन लोगों ने प्रशासन से गांव के तालाब समेत आदर्श जलाशय में पानी भराने हेतु उचित कदम उठाए जाने की मांग की है।