किसानों का पैसा भी गया, खाद भी नहीं मिली और जलील अलग से होना पड़ा। किसानों ने आरोप लगाया है। वास्तविकता तो जांच के बाद ही स्पष्ट होगी।
गुरु जी की कलम से
साधन सहकारी समिति बैरिहवा विकासखंड बढ़नी का समाचार है। इस पूरे प्रकरण में शान्ती एवं सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखने के लिए ढेबरुआ थानाक्षेत्र के पुलिस चौकी बढ़नी, सिद्धार्थनगर में तैनात एक सिपाही वर्दीधारी की ड्यूटी लगी हुई थी।
आज वितरण में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी अथवा व्यवधान न हो, इसके लिए शोहरतगढ़ तहसील के एक कर्मचारी की भी ड्यूटी लगी थी। इसके बावजूद खाद के वितरण के समय किसानों के साथ बदसलूकी की गई।
किसानों का आरोप है कि पैसा लेने के बाद खाद की पर्ची तो दी गई लेकिन खाद नहीं दी गई। यह किस न्याय की श्रेणी में आता है, यह तो अधिकारी ही बता सकते हैं।
खाद की पर्ची हाथ में लिए कुछ किसान बिना खाद पाए और अपनी जेब की पूंजी गवां कर मायूस होकर घर लौट गए।
सबसे बड़ा गोलमाल तब उजागर हुआ जब रजिस्टर में तीन बोरी यूरिया दर्ज था, लेकिन पर्ची धारक किसान को केवल दो बोरी यूरिया दी गई। इस पर किसानों ने एतराज जताया, लेकिन वहां मौजूद सचिव के चमचों ने किसानों को जबरन हटाकर गोदाम में ताला लगा दिया।
बताया जा रहा है कि शोहरतगढ़ विधानसभा सहित पूरे सिद्धार्थनगर में यूरिया का कृत्रिम संकट अधिकारियों की मिलीभगत से पैदा किया गया है। यह मामला शोहरतगढ़ विधायक विनय वर्मा के सामने भी आ चुका है।
इस संबंध में विधायक विनय वर्मा ने कहा कि ग्रामीण सहकारी समिति सेहुडा में यूरिया खाद के लिए परेशान जनता का वीडियो सोशल मीडिया पर डालकर अधिकारियों की जवाबदेही तय करने की मांग की गई थी।
वीडियो डालते ही आश्चर्यजनक रूप से समिति के बाहर नोटिस चस्पा कर दिया गया कि कोआपरेटिव सचिव आशीष चौधरी बीमार हैं। यहां तक कि अस्पताल में भर्ती होने का फोटो भी सोशल मीडिया पर वायरल करा दिया गया।
लेकिन विधायक तब चकित रह गए जब वही सचिव शोहरतगढ़ विधायक विनय वर्मा के आवास पर जनता दरबार में चुपचाप बैठा मिला। पूछने पर सचिव सकपका गया और बहाने बनाने लगा।
इससे साफ़ हो गया कि अधिकारी बड़े अफसरों की मिलीभगत और शह पर आपराधिक लापरवाही कर रहे हैं। इतना ही नहीं, वे जनप्रतिनिधियों के खिलाफ़ साज़िश करके राज्य सरकार की छवि खराब करने में जुटे हैं।
विधायक ने इस घटनाक्रम से जुड़े सभी फोटो सोशल मीडिया पर भी साझा कर दिए, ताकि जनता सच्चाई देख सके। उन्होंने कहा कि यदि यह तथ्य सबूत सहित न रखे जाते तो शायद अधिकारी जनता और जनप्रतिनिधियों को ही झूठा साबित कर देते।
विधायक ने कहा कि यह पूरा मामला माननीय कृषि मंत्री, आला अधिकारियों और जरूरत पड़ने पर मुख्यमंत्री तक पहुँचाया जाएगा।
उन्होंने मांग की है कि ऐसे साजिशकर्ता अफसरों और कर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाए। साथ ही यह भी जांच होनी चाहिए कि कोआपरेटिव सचिव उनके आवास पर क्यों आया और समिति में मौजूद क्यों नहीं था।
इस पूरे प्रकरण को लेकर विधायक ने उच्च अधिकारियों को जानकारी देते हुए जांच की मांग की है।