पूरा मामला बरेली के थाना बरदारी का है। यहाँ इमरान नाम के एक व्यक्ति ने पुलिस को सूचना दी कि उनके चाचा डाक्टर नेजबुल हसन जो शहर में सूफीटोला में एक डिस्पेंसरी चलाते हैं। वह अचानक घर आए और बैंक के कागजात लेकर बिना बताए स्कूटी से कहीं चले गए और फोन करने पर फोन नहीं उठा रहें हैं।
सूचना मिलते ही एसपी मानुष पारिक ने तत्काल बरदारी पुलिस को अलर्ट किया और डाक्टर के मोबाइल को ट्रेस करने के निर्देश दे दिए।
पुलिस ने पहले परिवार से पूछताछ कि तो पता चला उन्हें कही से फोन आया था और फोन करने वाले व्यक्ति ने बताया कि उनका आधार कार्ड कहीं गलत काम हवाला के लेन देन में उपयोग हुआ है।
पूछताछ के बाद पुलिस ने साइबर अपराध की आशंका जताते हुए डाक्टर के फोन का लोकेशन ट्रेस किया तो पीलीभीत रोड स्थित एक होटल का पाया गया।
तत्काल पुलिस लोकेशन के आधार पर होटल पहुँची तो बाहर स्कूटी पार्क मिली, पुलिस ने होटल के अन्दर जाकर पूछताछ शुरू की तो पता चला डाक्टर नजबुल हसन ने सोमवार तक के लिए कमरा नम्बर 105 बुक किया है।
पुलिस कमरा नम्बर 105 के दरवाजे पर आला अधिकारियों और होटल स्टाफ के साथ पहुँची और दरवाजा खोलने को कहा गया लेकिन डाक्टर ने दरवाजा खोलने से मना कर दिया। दरवाजे में कान लगाकर सुना गया तो विडियो काल पर डाक्टर को कोई दरवाजा न खोलने को बोल रहा था।
डाक्टर के द्वारा दरवाजा न खोले जाने पर पुलिस ने होटल में आग लगने की झूठी सूचना फैला दी। काफी प्रयास के बाद कमरा नम्बर 105 दरवाजा खुला। पुलिस अन्दर पहुँची और पता चला कि डाक्टर को डिजिटल अरेस्ट किया गया।
डाक्टर नजबुल का साइबर अपराधियों ने इस तरह ब्रेनवाश कर दिया था कि वह असली पुलिस की बातों को गलत मान रहे थे और साइबर अपराधी की बात सही मान रहे थे।
पुलिस के आला अधिकारियों ने डाक्टर से पूछताछ शुरू कि तो उन्होंने बताया कि दोपहर में उनके पास एक फोन काल आया और कहा गया आपका आधार कार्ड मुम्बई के हवाला कारोबार में प्रयोग कर कई राज्यों में घोटाला किया है।
घोटाले की जाँच आरबीआई और सीबीआई कर रही हैं अगर फसंने से बचना चाहते हो तो 50 लाख रूपए भेजो।
डाक्टर ने पुलिस को बताया कि मैं पिछले तीन घंटे से होटल के कमरे में हूँ मैंने बैंक डिटेल दे दिए थे। अब ओटीपी बताने की बारी थी कि आप लोगों ने दरवाजा खुलवा दिया।
डाक्टर नजबुल की बेटी और भतीजे की सूझबूझ के चलते थाना बरदारी पुलिस तत्परता और सूझबूझ से डाक्टर के पचास लाख रूपए बच गए।