दिल्ली:कोरोना की दूसरी लहर की रफ्तार धीमी पड़ने के साथ ही देश के कुछ राज्यो में अनालाक की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है। ऐसे में कई लोगों के मन में यह भी प्रश्न उठ रहा है कि देश में स्कूल कब खुलेंगे?
स्कूल खोले जाने को लेकर नीति आयोग (स्वास्थ्य), के अधिकारी डॉक्टर वीके पॉल ने नेशनल और राज्य स्तरीय बोर्ड परीक्षाएं कोविड-19 महामारी की कारण रद्द कर दी गईं।
केन्द्र सरकार की ओर से बताया गया कि देश में स्कूल खोले जाने पर तब विचार किया जाएगा जब ज्यादा से ज्यादा शिक्षकों को कोरोना का वैक्सीन लग जाएगा। कोविड से बच्चों पर पड़ने वाले प्रभाव की और अधिक जानकारी सामने आने के बाद ही स्कूल खोलने पर विचार किया जाएगा।
डॉक्टर वीके पॉल ने कहा कि हमें ध्यान रखना चाहिए कि कैसे विदेशों में स्कूल खोले थे लेकिन फिर से कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ने के बाद स्कूलों को दोबारा बंद करना पड़ा था। उन्होने कहा कि हम अपने शिक्षको और छात्रों को ऐसे हालत में नही डाल सकते हैं।
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन और एम्स ने अपनी एक अध्ययन में बताया है कि 18 साल के कम के उम्र के बच्चों में कोविड-19 के खिलाफ लड़ने वाली एंटीबॉडी विकसित हुई है। इसलिए ऐसी उम्मीद है कि कोरोना की तीसरी लहर का असर बच्चों पर ज्यादा नहीं होगा।
डॉक्टर पॉल ने कहा कि लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि स्कूल खुल सकते हैं और बच्चों को सोशल डिस्टेन्सिंग फॉलो करने की जरुरत नहीं है।
डॉक्टर पॉल ने कहा कि 'ऐसी कई चीजे हैं जिसके बारे में अभी तक हम नहीं जानते हैं। स्कूलों को दोबारा खोलना एक अलग मुद्दा है। यह सिर्फ छात्रों के बारे में नहीं है बल्कि इसमें शिक्षक और गैर शैक्षणिक कर्मचारी भी शामिल हैं।
जिस तरह वायरस अपना रुप बदल रहा है उसे ध्यान में रखना होगा। आज यह बच्चों के बीच कम असरदार है लेकिन अगर कल यह ज्यादा संक्रामक हो गया तब क्या होगा?'
स्कूल खोले जाने को लेकर नीति आयोग (स्वास्थ्य), के अधिकारी डॉक्टर वीके पॉल ने नेशनल और राज्य स्तरीय बोर्ड परीक्षाएं कोविड-19 महामारी की कारण रद्द कर दी गईं।
केन्द्र सरकार की ओर से बताया गया कि देश में स्कूल खोले जाने पर तब विचार किया जाएगा जब ज्यादा से ज्यादा शिक्षकों को कोरोना का वैक्सीन लग जाएगा। कोविड से बच्चों पर पड़ने वाले प्रभाव की और अधिक जानकारी सामने आने के बाद ही स्कूल खोलने पर विचार किया जाएगा।
डॉक्टर वीके पॉल ने कहा कि हमें ध्यान रखना चाहिए कि कैसे विदेशों में स्कूल खोले थे लेकिन फिर से कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ने के बाद स्कूलों को दोबारा बंद करना पड़ा था। उन्होने कहा कि हम अपने शिक्षको और छात्रों को ऐसे हालत में नही डाल सकते हैं।
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन और एम्स ने अपनी एक अध्ययन में बताया है कि 18 साल के कम के उम्र के बच्चों में कोविड-19 के खिलाफ लड़ने वाली एंटीबॉडी विकसित हुई है। इसलिए ऐसी उम्मीद है कि कोरोना की तीसरी लहर का असर बच्चों पर ज्यादा नहीं होगा।
डॉक्टर पॉल ने कहा कि लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि स्कूल खुल सकते हैं और बच्चों को सोशल डिस्टेन्सिंग फॉलो करने की जरुरत नहीं है।
डॉक्टर पॉल ने कहा कि 'ऐसी कई चीजे हैं जिसके बारे में अभी तक हम नहीं जानते हैं। स्कूलों को दोबारा खोलना एक अलग मुद्दा है। यह सिर्फ छात्रों के बारे में नहीं है बल्कि इसमें शिक्षक और गैर शैक्षणिक कर्मचारी भी शामिल हैं।
जिस तरह वायरस अपना रुप बदल रहा है उसे ध्यान में रखना होगा। आज यह बच्चों के बीच कम असरदार है लेकिन अगर कल यह ज्यादा संक्रामक हो गया तब क्या होगा?'