पुलवामा आतंकी हमले में शहीद हुए 44 जावानों में से एक महराजगंज पंकज त्रिपाठी थे। शनिवार को वीर सपूत को अंतिम विदाई देने के लिए पूरा महराजगंज उमड़ पड़ा। पंकज के गांव से लेकर अंतिम संस्कार के स्थान त्रिमुहानी घाट तक रास्ते में इतनी भीड़ मौजूद रही कि तिल रखने की जगह नहीं बची।
शहीद का पार्थिव शरीर शनिवार अपराह्न 11:40 बजे फरेंदा तहसील के हरपुर बेलहिया टोला पहुंचा। वीर सपूत के तिरंगे में लिपटे ताबूत को देख गांव का हर जर्रा-जर्रा रोया। सभी बस पंकज को एक झलक देखने के लिए बेताब दिखे। पत्नी रोहिणी ताबूत से लिपट कर दहाड़े मारकर रोने लगी। तीन साल का मासूम बेटा प्रतीक शहीद पंकज के शव को एकटक देखता रहा।
पत्नी रोहिणी बार-बार पंकज का मुंह दिखाने की गुहार लगाती रही। हमले में शहीद का शरीर क्षत विछत होने से सभी रोहिणी को संभालने में लगे रहे। मां सुशीला अपने लाल को ताबूत में देखकर बार-बार बेहोश हो जा रही हैं। पिता ओमप्रकाश त्रिपाठी बेसुध पड़े हैं। छोटे भाई शुभम को रिश्तेदारों और ग्रामीणों ने किसी तरह से संभाला। इस बीच त्रिपाठी परिवार के साथ पूरा हरपुर गांव रोया। शहीद पंकज अमर रहे के नारों के साथ उन्हें अंतिम विदाई दी गई।