शोहरतगढ़ः () नगर में मुस्लिम समुदाय के लोगों ने ईद उल अजहा का त्यौहार पूरी अकीदत के साथ मनाया। इस मौके पर मस्जिदों में नमाजे ईद उल अजहा पढ़ाई गई। मुसलमान भाइयों ने अल्लाह से अपने गुनाहों की मग फिरत और देश में खुशहाली व अमन चैन की दुआ मांगी। सभी मुस्लिम भाई अपने घरों से निकल कर सुबह सुबह ईदगाह पहुंचे जहां उन्होंने नमाज ईद उल अजहा अदा की।
मुस्लिम धर्म के लोगों ने अल्लाह की राह में जानवर की कुर्बानी दी और लोगों ने अल्लाह से दुआ मांगी। नमाज के दौरान शहर इमाम मौलाना ने ईद उल अजहा के बारे में कलाम पेश किया, काफी मौलवियों ने कलाम व नात पेश किया।खुशियों के त्यौहार में किसी बेज़ुबान जानवर की कुर्बानी देने का क्या अर्थ है?
तब शहर इमाम ने बताया कि दरअसल इसके पीछे एक कहानी एवं उससे जुड़ी मान्यता छिपी है।
क्यों देते हैं कुर्बानी?
इस कहानी के अनुसार एक बार इब्राहीम अलैय सलाम नामक एक व्यक्ति थे, जिन्हें ख्वाब (सपने) में अल्लाह का हुक्म हुआ कि वे अपने प्यारे बेटे इस्माइल जो बाद में पैगंबर हुए, को अल्लाह की राह में कुर्बान कर दें। यह इब्राहीम अलैय सलाम के लिए एक इम्तिहान था, जिसमें एक तरफ थी अपने बेटे से मुहब्बत और एक तरफ था अल्लाह का हुक्म।
अल्लाह के लिए
लेकिन अल्लाह का हुक्म ठुकराना अपने धर्म की तौहीन करने के समान था, जो इब्राहीम अलैय सलाम को कभी भी कुबूल ना था। इसलिए उन्होंने सिर्फ अल्लाह के हुक्म को पूरा करने का निर्णय बनाया और अपने बेटे की कुर्बानी देने को तैयार हो गए।
एक दूसरे के गले मिल ईद की बधाई देते लोग
अल्लाह का हुक्म
लेकिन अल्लाह भी रहीमो करीम है और वह अपने बंदे के दिल के हाल को बाखूबी जानता है। उसने स्वयं ऐसा रास्ता खोज निकाला था जिससे उसके बंदे को दर्द ना हो। जैसे ही इब्राहीम अलैय सलाम छुरी लेकर अपने बेटे को कुर्बान करने लगे, वैसे ही फरिश्तों के सरदार जिब्रील अमीन ने तेजी से इस्माईल अलैय सलाम को छुरी के नीचे से हटाकर उनकी जगह एक मेमने को रख दिया।
अल्लाह के लिए कुर्बानी
फिर क्या, इस तरह इब्राहीम अलैय सलाम के हाथों मेमने के जिबह होने के साथ पहली कुर्बानी हुई। इसके बाद जिब्रील अमीन ने इब्राहीम अलैय सलाम को खुशखबरी सुनाई कि अल्लाह ने आपकी कुर्बानी कुबूल कर ली है और अल्लाह आपकी कुर्बानी से राजी है।
इसलिए करते हैं कुर्बानी
इसलिए तभी से इस त्यौहार पर अल्लाह के नाम पर एक जानवर की कुर्बानी दी जाती है। लेकिन ना केवल इस कहानी के आधार पर, वरन् ऐसी कई मान्यताएं हैं जो एक जानवर को कुर्बानी देने के लिए उत्सुक करती हैं। इस्लाम में कुर्बानी का अर्थ ही ऐसा है जो पाक है।
नमाज के दौरान नेता अलताफ, मोहम्मद वकील खान, मोहम्मद शकील खान, अरमान अंसारी, परवेज, अरमान खान, सद्दाम हुसैन, वकार खान, सैफ नवाज, मोहसिन, आकिब हुसैन, अफसर अंसारी, बाबूजी अंसारी, नियाज अहमद, सिराज खान, आमिर खान, रजा खान भारी संख्या में लोग मौजूद रहे। प्रभारी निरीक्षक रणधीर मिश्रा, सीओ सुनील कुमार के साथ चार थानों की फोर्स शांति व्यवस्था बनाने में लगी रही|
मुस्लिम धर्म के लोगों ने अल्लाह की राह में जानवर की कुर्बानी दी और लोगों ने अल्लाह से दुआ मांगी। नमाज के दौरान शहर इमाम मौलाना ने ईद उल अजहा के बारे में कलाम पेश किया, काफी मौलवियों ने कलाम व नात पेश किया।खुशियों के त्यौहार में किसी बेज़ुबान जानवर की कुर्बानी देने का क्या अर्थ है?
तब शहर इमाम ने बताया कि दरअसल इसके पीछे एक कहानी एवं उससे जुड़ी मान्यता छिपी है।
क्यों देते हैं कुर्बानी?
इस कहानी के अनुसार एक बार इब्राहीम अलैय सलाम नामक एक व्यक्ति थे, जिन्हें ख्वाब (सपने) में अल्लाह का हुक्म हुआ कि वे अपने प्यारे बेटे इस्माइल जो बाद में पैगंबर हुए, को अल्लाह की राह में कुर्बान कर दें। यह इब्राहीम अलैय सलाम के लिए एक इम्तिहान था, जिसमें एक तरफ थी अपने बेटे से मुहब्बत और एक तरफ था अल्लाह का हुक्म।
अल्लाह के लिए
लेकिन अल्लाह का हुक्म ठुकराना अपने धर्म की तौहीन करने के समान था, जो इब्राहीम अलैय सलाम को कभी भी कुबूल ना था। इसलिए उन्होंने सिर्फ अल्लाह के हुक्म को पूरा करने का निर्णय बनाया और अपने बेटे की कुर्बानी देने को तैयार हो गए।
एक दूसरे के गले मिल ईद की बधाई देते लोग
अल्लाह का हुक्म
लेकिन अल्लाह भी रहीमो करीम है और वह अपने बंदे के दिल के हाल को बाखूबी जानता है। उसने स्वयं ऐसा रास्ता खोज निकाला था जिससे उसके बंदे को दर्द ना हो। जैसे ही इब्राहीम अलैय सलाम छुरी लेकर अपने बेटे को कुर्बान करने लगे, वैसे ही फरिश्तों के सरदार जिब्रील अमीन ने तेजी से इस्माईल अलैय सलाम को छुरी के नीचे से हटाकर उनकी जगह एक मेमने को रख दिया।
अल्लाह के लिए कुर्बानी
फिर क्या, इस तरह इब्राहीम अलैय सलाम के हाथों मेमने के जिबह होने के साथ पहली कुर्बानी हुई। इसके बाद जिब्रील अमीन ने इब्राहीम अलैय सलाम को खुशखबरी सुनाई कि अल्लाह ने आपकी कुर्बानी कुबूल कर ली है और अल्लाह आपकी कुर्बानी से राजी है।
इसलिए करते हैं कुर्बानी
इसलिए तभी से इस त्यौहार पर अल्लाह के नाम पर एक जानवर की कुर्बानी दी जाती है। लेकिन ना केवल इस कहानी के आधार पर, वरन् ऐसी कई मान्यताएं हैं जो एक जानवर को कुर्बानी देने के लिए उत्सुक करती हैं। इस्लाम में कुर्बानी का अर्थ ही ऐसा है जो पाक है।
नमाज के दौरान नेता अलताफ, मोहम्मद वकील खान, मोहम्मद शकील खान, अरमान अंसारी, परवेज, अरमान खान, सद्दाम हुसैन, वकार खान, सैफ नवाज, मोहसिन, आकिब हुसैन, अफसर अंसारी, बाबूजी अंसारी, नियाज अहमद, सिराज खान, आमिर खान, रजा खान भारी संख्या में लोग मौजूद रहे। प्रभारी निरीक्षक रणधीर मिश्रा, सीओ सुनील कुमार के साथ चार थानों की फोर्स शांति व्यवस्था बनाने में लगी रही|