सिद्धार्थनगर छह अगस्त की शाम बढनी मालगोदाम तिराहे से चार लोगों को गिरफ्तार किया गया था। कार मे सवार चार लोगो मे एक व्यक्ति पुलिस की वर्दी पहने हुए था। खाकी का खौफ दिखाकर खुलेआम पैसे वसूल रहा था। गस्त पर निकली ढेबरूआ पुलिस की नजर पैसा वसूलते वर्दीधारी पडी। उसके बाद पुलिस संदेह होने पर चारो को थाने ले आई थी।
पूछताछ मे गाडी का कोई कागज उनके पास नही था। पुलिस से सम्बंधित कोई दस्तावेज न दिखा पाने के बाद फर्जी पुलिस बने दीपनरायन पर धोखाधडी का मुकदमा दर्ज कर जेल भेज दिया गया।
सवाल यह है कि गाडी मे सवार अन्य व्यक्ति खुद को भाजपा का वरिष्ठ नेता बता रहा था और पकडे गए फर्जी पुलिसकर्मी को अपना गनर। बावजूद इसके इन तीनो को छोड देना कई सवाल खडे करता है। आखिर यह लोग वास्तव मे कौन थे। उसकी कार पर भाजपा का झंडा लगा था। अगर वास्तव मे वह प्रमुख पद पर था तो उसे सरकारी गनर व गाडी मिलनी चाहिए थी। फिर वह फर्जी गनर व बिना कागजात की गाडी लेकर क्यों चल रहा था। इन सब सवालों के जवाब देने से पुलिस बच रही है लेकिन चर्चाओं का बजार गर्म है।