गांधी हिंदू थे हिंदुत्ववादी नहीं.वे हिंदुत्ववादी होते तो मारे नहीं जाते ऐसा नहीं कि हिंदुत्ववादी नहीं मारे जाते लेकिन एक हिंदुत्ववादी की हत्या दूसरा हिंदुत्ववादी नहीं करता हिंदुत्ववाद एक विचार है एक विचारधारा है इसमें महात्मा गांधी जैसा हिंदू नहीं समा सकता. महात्मा गांधी के लिए 'अल्लाह ईश्वर तेरो नाम' है उनके राम का नाम अल्लाह भी है और ईश्वर भी जबकि हिंदुत्व वादी विचारधारा में इतना नैतिक साहस नहीं कि वह सच बोले और स्पष्ट बोले की उसकी विचारधारा ईश्वर बनाम अल्लाह है. महात्मा गांधी वाला हिंदू 'अयोध्या कांड' नहीं कर सकता. किसी मस्जिद को गिराकर राम का मंदिर बनाने की बात नहीं कर सकता महात्मा गांधी वाला हिंदू हिंसक नहीं होता. वह हिंसा में विश्वास नहीं करता वह मानता है कि अयोध्या राम की है तो अल्लाह की भी है राम और अल्लाह की अयोध्या अलग-अलग नहीं है अयोध्या जितनी राम की है उतनी अल्लाह की भी है.
गांधी 30 जनवरी 1948 को नहीं मारे जाते तो 6 दिसंबर 1992 को मारे जाते. गांधी जैसे लोग भारत जैसे देश में मारे ही जाते.वे इसलिए मारे जाते क्योंकि भारत मे घृणा कम नहीं.घृणा कमने के बदले बढ़ती जा रही है.घृणा कि तरह हिंसा भी लगातार बढती जा रही है.
कवि हृदय रवींद्रनाथ ठाकुर ने गांधी को महात्मा कहा उन्होंने सिर्फ कहां नहीं माना और लिखा भी यदि गांधी हिंदुत्ववादी होते तो महात्मा माने बोले लिखे नहीं जाते. ठाकुर जैसे महाकवि ने उन्हें इसलिए महात्मा माना बोला लिखा. क्योंकि वो हिंदुत्ववादी नहीं होने के साथ-साथ हिंदुत्ववादी सोच विचार से एक बेहद जरुरी दूरी बनाए हुए थे.गाँधी ने कभी किसी धर्म से घृणा नहीं की.उनके अंदर मानव प्रेम था.नेताजी सुभाष चंद्र बोस जैसे नेता ने भी उनसे मतभेद रखने के बावजूद उन्हे राष्ट्रपिता माना. गांधी हिंदुत्व वादी होते तो सुभाष चंद्र बोस उन्हें राष्ट्रपिता नहीं कहते और ना ही कहने का विचार व्यक्त करते.
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को हिंदुत्ववादी लेकिन राष्ट्रपिता नहीं मानता.यह बात और है कि हर हिंदुत्ववादी अपना मत मीडिया के सामने या सर्वाजनिक रुप से बतलाता नहीं.2 अक्टूबर को गांधी जी के जन्मदिन पर और 30 जनवरी को उनकी पुंयतिथि पर उन्हें राजघाट पर या संसद भवन में श्रद्धांजलि देने संविधानिक विवशता है. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए हिंदुत्ववादी कल्याण सिंह सर्वाजनिक रुप से महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता मानने के विरोध में अपना विचार जग जाहिर कर चुके थे. इस बयान के बावजूद उन्हें राज्यपाल जैसे संविधानिक पद के योग माना गया. वे राजस्थान के राज्यपाल है.
गांधी हिंदू थे और उनका हत्यारा नाथूराम गोडसे भी हिंदू था. दोनों हिंदुओं में मौलिक अंतर यह था. कि गांधी अहिंसक हिंदू थे और नाथूराम गोडसे हिंसक हिंदू. लेकिन गांधी और गोडसेे में बुनियादी मतभेद था. गांधीहिंदुत्व मत के विरोधी थे गोडसे घनघोर हिंदुत्व वादी था. गोडसेवादियों को गांधी के महात्मापन और राष्ट्रपितृत्व से अपार घृणा थी और है. उन लोगों को गांधी मे वह हिंदू दिखने लगा था जो धार्मिक था लेकिन सांप्रदायिक नहीं. जो धार्मिक था लेकिन सम्प्रदायिक नही था. उनलोगों को सांप्रदायिक हिंदू चाहिए था. यानी वह हिंदू जो मन और मस्तिष्क में मुसलमानों और ईसाई उसे घृणा करता हो. और मुंह पर सरल मुस्कान रखता हो.
गांधी हिंदुत्ववादी होते तो 1947 में दिल्ली के करीब 137 मस्जिदों को बर्बाद करने को अधर्म नहीं मानते. ऐसा हिंदूत्वधारी या हिंदुत्ववादी अब तक नहीं दिखा सामने आया है जो मस्जिदों को गिराने बर्बाद करने को गलत या अधर्म मानता हो गांधी देश दुनिया में इसलिए हैं क्योंकि वह हिंदुत्वधारी या हिंदुत्ववादी नहीं थे.
फ़िलहाल