सिद्धार्थनगर : डा. राममनोहर लोहिया के प्रिय शिष्य, समाजवादी आंदोलन के अगुवा पूर्व सांसद स्व. बृजभूषण तिवारी समाजवाद की चलती-फिरती पाठशाला थे। उनके विचार आज समाजवाद की सबसे बड़ी धरोहर है। समाज में कायम असमानता को दूर करने के लिए वह आजीवन संघर्ष करते रहे। अपने सहज एवं सरल व्यक्तित्व के माध्यम से वह हर किसी के दिल में अपना एक विशेष मुकाम रखते थे।
उक्त बातें वर्धा विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति और गोविवि के हिन्दी के विभागाध्यक्ष प्रो. चितरंजन मिश्र ने कही। वह सोमवार को स्व. तिवारी की पांचवीं पुण्यतिथि पर लोहिया कला भवन में आयोजित विचार गोष्ठी को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। उनकी सहजता एवं संघर्ष को याद करते हुए कहा कि वह रचनात्मक प्रतिरोध का सदैव आदर किया करते थे। उनकी राजनीति जनता के साथ शुरू होती है। वह सत्ता और सुविधा के लिए कभी नहीं दौड़े। वह हर कार्यकर्ता की भावनाओं को समझते हुए अपना अभिभावकत्व सभी को प्रदान करते थे। सहजता के साथ ही उन्हें समय, काल, वेद, पुराण, कुरान आदि का गहन अध्ययन था। आजीवन उनकी राजनीति जनकल्याण पर ही केंद्रित रही। नियति ने असमय ही उनको हमसे छीन लिया, लेकिन उनके विचार आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं। उनके विचारों का अनुसरण ही उनके प्रति हमारी सच्ची श्रद्धांजलि होगी। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे पूर्व विस अध्यक्ष माता प्रसाद पाण्डेय एवं शिक्षक विधायक ध्रुव कुमार त्रिपाठी ने भी अपने विचारों के माध्यम से उनको नमन किया। स्व. तिवारी के पुत्र एवं राज्यसभा सदस्य आलोक तिवारी ने भी उनसे जुड़े तमाम संस्मरण साझा किए। संचालन अफसर रिजवी ने किया। जिलाध्यक्ष अजय चौधरी, जिला पंचायत अध्यक्ष गरीब दास, उनके प्रतिनिधि रामकुमार उर्फ ¨चकू, पूर्व विधायक लालजी यादव, विजय पासवान, मो. सईद भ्रमर, शशिकांत जायसवाल, वीरेंद्र तिवारी, इद्रीस पटवारी, तेज प्रताप ¨सह, चंद्रजीत जायसवाल, चंद्रमणि यादव, आशीष अग्रहरि, खुर्शीद अहमद, बेचई यादव, मुरलीधर मिश्र, रामचंद्र चौरसिया, खलकुल्लाह खां, कामता यादव, हरीराम भारती सहित समाजवादी विचारधारा के तमाम लोग उपस्थित रहे।