जकात क्या है?
अरबी शब्द 'जकात' का अर्थ "पवित्रता" और "शुद्धि" होता है। यह एक दान (Charity) है, जो संपत्ति की शुद्धि करता है और इसे अल्लाह की राह में खर्च किया जाता है।
कौन जकात देने के लिए बाध्य है?
वह व्यक्ति जकात देने के लिए बाध्य है:
✔️ जो मुस्लिम है।
✔️ जिसके पास निसाब (Nisab) से अधिक संपत्ति है।
✔️ जिसकी संपत्ति एक इस्लामी साल (354 दिन) तक निसाब से अधिक बनी रही हो।
निसाब क्या होता है?
• 85 ग्राम सोना या 595 ग्राम चांदी के बराबर संपत्ति हो, तो उस पर जकात वाजिब हो जाती है।
• चूंकि चांदी का मूल्य कम होता है, इसलिए अधिकतर इस्लामी विद्वान चांदी के निसाब को अपनाने की सलाह देते हैं।
जकात की दर और गणना
✔️ जकात की दर: कुल बचत और संपत्ति का 2.5% (1/40) देना होता है।
उदाहरण:
अगर आपके पास ₹1,00,000 की ज़कात योग्य संपत्ति है, तो इसकी जकात इस प्रकार निकलेगी:
\frac{2.5}{100} \times 1,00,000 = 2,500
यानी आपको ₹2,500 जकात के रूप में देना होगा।
जकात किन चीजों पर लागू होती है?
✅ जकात योग्य संपत्तियाँ:
• नकदी (Cash, Bank Balance)
• सोना, चांदी और कीमती धातु
• व्यापार में निवेश और लाभ
• किराए पर दी गई संपत्ति से आमदनी
• शेयर मार्केट और स्टॉक्स से लाभ
❌ जिन चीज़ों पर जकात नहीं लगती:
• खुद के रहने का मकान
• रोज़मर्रा के उपयोग की वस्तुएं (कपड़े, फर्नीचर, वाहन आदि)
• उपयोग में आने वाला सोना-चांदी (कुछ विद्वानों के अनुसार इस पर भी जकात है)
जकात किन लोगों को दी जा सकती है?
कुरआन (9:60) के अनुसार, जकात इन आठ श्रेणियों के लोगों को दी जा सकती है:
• फकीर (गरीब) – जिनके पास गुजारा करने के लिए पर्याप्त साधन नहीं हैं।
• मिस्कीन (अत्यंत जरूरतमंद) – जो गरीबी की सबसे निचली अवस्था में हों।
• अमिल (Zakat Collector) – जो जकात इकट्ठा और वितरित करने का कार्य करते हैं।
• मुअल्लफतुल-कुलूब (नए मुस्लिम) – जो हाल ही में इस्लाम में आए हों और आर्थिक रूप से कमजोर हों।
• ग़ुलामों की आज़ादी के लिए – पुराने समय में गुलामी समाप्त करने हेतु।
• कर्ज़दार (Debtors) – जो अत्यधिक कर्ज में डूबे हुए हैं और उसे चुकाने में असमर्थ हैं।
• अल्लाह के रास्ते में (Fi Sabilillah) – धार्मिक और सामाजिक कल्याण के कार्यों के लिए।
• मुसाफिर (Travelers in need) – जो यात्रा के दौरान आर्थिक संकट में फंस गए हों।
जकात देने का सही समय
• जकात साल में एक बार दी जाती है, जब आपकी संपत्ति एक हिजरी साल तक निसाब से अधिक हो।
• इसे रमज़ान में देना अधिक फज़ीलत (सवाब) वाला माना जाता है, लेकिन इसे सालभर किसी भी समय दिया जा सकता है।
ऑनलाइन जकात कैलकुलेटर
अगर आप अपनी जकात की सही गणना करना चाहते हैं, तो आप ऑनलाइन "Zakat Calculator" का उपयोग कर सकते हैं।
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निष्कर्ष
जकात न केवल आर्थिक संतुलन बनाए रखती है, बल्कि यह समाज में गरीबों और जरूरतमंदों की मदद का एक बेहतरीन ज़रिया है। यह हर सक्षम मुस्लिम पर फर्ज़ है और इसे सही तरीके से देना चाहिए ताकि इसका अधिकतम लाभ जरूरतमंदों तक पहुंचे।