सिद्धार्थनगर:ढेबरुआ थाना परिसर में आयोजित
चौरी चौरा शताब्दी महोत्सव के अवसर पर शहीदों को नमन करते हुए बढ़नी विकास खंड के स्वतन्त्र सेनानियों के परिजनों को सम्मानित किया गया.
स्वतंत्रता संग्राम सेनानी मौलाना अब्दुल रहमानी के पुत्र हैदर आलम ग्राम प्रधान दुधवनिया बुजुर्ग को सम्मानित किया. साथ ही स्वतंत्रता सेनानी के परिजन नरेंद्र पांडेय और हरिनाथ यादव को भी सम्मानित किया गया.
स्वतंत्रता संग्राम सेनानी मौलाना अब्दुल रहमानी के पुत्र हैदर आलम ग्राम प्रधान दुधवनिया बुजुर्ग को सम्मानित किया. साथ ही स्वतंत्रता सेनानी के परिजन नरेंद्र पांडेय और हरिनाथ यादव को भी सम्मानित किया गया.
इस मौके पर वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की आजादी की खातिर अपना जीवन बलिदान करने वाले बलिदानियों को नमन किया. इससे पहले सीएम योगी आदित्यनाथ ने चौरी-चौरा कांड पर प्रकाश डाला.
स्कूली छात्र छात्राओं ने प्रभात फेरी निकाल कर शहीदों को याद किया और आयोजित कार्यक्रम के दौरान देशभक्ति गीतों पर नृत्य कर सबका मन मोह लिया.
इस मौके पर मुख्य विकास अधिकारी पुलकित गर्ग ने सेनानियों के जज्बे को सलाम करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी और स्वतंत्रता सेनानी परिवार के बेटे हैदर आलम प्रधान दुधवनिया बुजुर्ग को सम्मानित किया.
स्वतंत्रता सेनानी मौलाना अब्दुल कय्यूम रहमानी का जन्म
20 जनवरी 1920 को विकास खंड बढ़नी के दुधवनिया बुजुर्ग गांव में हुआ था. महात्मा गाँधी जी ने "अंग्रेजो भारत छोडो का नारा दिया" तो मौलाना भी पूर्ण रूप से स्वतंत्रता आंदोलन मे शामिल हो गये. कांग्रेस द्वारा चलाये जा रहे आंदोलनो एंव कार्यक्रमों मे शामिल होने के कारण मौलाना साहब अंग्रेज सरकार की नजर मे आ गए और ब्रिटिश सरकार ने उनको उनके पैत्रिक गाँव से गिरफ्तार कर लिया और उनको बस्ती जेल मे रखा और फिर वही से गोरखपुर पुन: नैनी इलाहाबाद जेल मे दिनाँक 22.8.1942 ई. से दिनाँक 22.5.1943ई. तक रखा गया.
मौलाना को नैनी जेल मे लाल बहादुर शास्त्री, फिरोज गाँधी, हजरत मौलाना हुसैन मदनी, असीरे मालटा, मुजफ्पर हुसैन, डाक्टर काटजू, पुरूषोत्तम दास टंडन, विशम्भर दयाल, पंडित कमला पति त्रिपाठी आदि देश के ख्याती प्राप्त राजनेताओं के साथ रहने का सौभाग्य प्राप्त हुआ था।
एक बार दो माह के लिए लखनऊ मे नजरबन्द रहे. स्वतंत्रता सेनानी श्री कृपा शंकर के कथनानुसार इलाहाबाद ले जाने के पहले गोरखपुर मे 24 घंटे तक एक छोटे कमरे मे कई अन्य स्वतंत्रता सेनानियों को रखा गया,वह सजा दस वर्ष की सजा से कष्टपर्द थी.
स्कूली छात्र छात्राओं ने प्रभात फेरी निकाल कर शहीदों को याद किया और आयोजित कार्यक्रम के दौरान देशभक्ति गीतों पर नृत्य कर सबका मन मोह लिया.
इस मौके पर मुख्य विकास अधिकारी पुलकित गर्ग ने सेनानियों के जज्बे को सलाम करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी और स्वतंत्रता सेनानी परिवार के बेटे हैदर आलम प्रधान दुधवनिया बुजुर्ग को सम्मानित किया.
स्वतंत्रता सेनानी मौलाना अब्दुल कय्यूम रहमानी का जन्म
20 जनवरी 1920 को विकास खंड बढ़नी के दुधवनिया बुजुर्ग गांव में हुआ था. महात्मा गाँधी जी ने "अंग्रेजो भारत छोडो का नारा दिया" तो मौलाना भी पूर्ण रूप से स्वतंत्रता आंदोलन मे शामिल हो गये. कांग्रेस द्वारा चलाये जा रहे आंदोलनो एंव कार्यक्रमों मे शामिल होने के कारण मौलाना साहब अंग्रेज सरकार की नजर मे आ गए और ब्रिटिश सरकार ने उनको उनके पैत्रिक गाँव से गिरफ्तार कर लिया और उनको बस्ती जेल मे रखा और फिर वही से गोरखपुर पुन: नैनी इलाहाबाद जेल मे दिनाँक 22.8.1942 ई. से दिनाँक 22.5.1943ई. तक रखा गया.
मौलाना को नैनी जेल मे लाल बहादुर शास्त्री, फिरोज गाँधी, हजरत मौलाना हुसैन मदनी, असीरे मालटा, मुजफ्पर हुसैन, डाक्टर काटजू, पुरूषोत्तम दास टंडन, विशम्भर दयाल, पंडित कमला पति त्रिपाठी आदि देश के ख्याती प्राप्त राजनेताओं के साथ रहने का सौभाग्य प्राप्त हुआ था।
एक बार दो माह के लिए लखनऊ मे नजरबन्द रहे. स्वतंत्रता सेनानी श्री कृपा शंकर के कथनानुसार इलाहाबाद ले जाने के पहले गोरखपुर मे 24 घंटे तक एक छोटे कमरे मे कई अन्य स्वतंत्रता सेनानियों को रखा गया,वह सजा दस वर्ष की सजा से कष्टपर्द थी.