विश्व सेवा संघ राष्ट्रीय अध्यक्ष सुनील केसी द्वारा स्वास्थ्य के बारे में जानकारी दिया गया। वर्तमान में कोरोना वायरस संक्रमण से बचने के लिए उपाय बताया गया। वायरस ने भारत सहित पूरे विश्व को अपने चपेट में ले लिया है।
सम्पूर्ण मानव जीवन का अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहे हैं।आज का समय स्वयं को बचाते हुए अपने परिवार के साथ समाज को बचाना आपका प्रथम कर्तव्य है।
गांव में सार्वजनिक जगहों पर एकत्रित कूड़ा करकट को हटाए। अपने आस-पास साफ सफाई रखे। कार्यकर्ता सहित गांव के सभी अपने-अपने घर और सार्वजनिक जगहों पर पौधा लगाए।
विश्व सेवा संघ राष्ट्रीय अध्यक्ष सुनील केसी ने कहा स्वस्थ और कोरोना वायरस के संक्रमण पर जानकारी देते हुए कहा कि वर्तमान में सभी को लॉकडाउन और धारा 144 का पालन करना चाहिए। अनावश्यक बाहर न निकले।
इस महामारी से बचने के लिए हमेशा गर्म पानी पीएं। भोजन साफ और स्वच्छ करें। मास्क का प्रयोग करें। भीड़ में न जाए। हरा सब्जी और फल खाएं। दूषित पानी न पिएं।नशा युक्ति वस्तु न खाएं। हाथ, पैर, मुख को हमेशा गर्म पानी से धोएं। नीम का दातुन करें। शरीर का वात, पित्त और कफ न विगड़े इसका ध्यान रखे।
सर्दी, जुकाम, गले में दर्द, खाँसी, सास लेने में तकलीफ, बुखार हो तुरंत अस्पताल में जाएं। गांव में बाहर से लोगों के पास न बैठे। फसल तैयार है कोई भी ज्वलनशील पदार्थ, जलती माचिस की तीली, जलती बीड़ी सिगरेट फसल के पास न फेके।
शरीर को स्वस्थ रखने के लिए दो बातों को जानना जरूरी है। पहला अपने शरीर के बारे में। बाहर और अंदर कौन सा अंग कहाँ है? इसका क्या काम है? दूसरा भोजन को पहचानना। कौन सा भोजन आपके लिए जरूरी है और कौन नहीं?
इस समय महर्षि चरक के सूत्रों का अनुसरण करना चाहिए। जिन्होंने मानव स्वस्थ पर 7 हजार सूत्र लिखे हैं।जिसमें से 50 सूत्र का पालन हम सभी आसानी से कर सकते हैं। कोरोना वायरस संक्रमण से बचने के लिए कुछ सूत्र का पालन करें।इसके पालन 148 रोगों से मुक्ति मिलेगा।
1.जिस भोजन को पकाते व बनाते समय सूर्य का प्रकाश एवं पवन(वायु) न मिले वह भोजन कभी न करें क्योंकि वह विष(जहर) है।
2.भोजन पकने के 48 मिनट के अन्दर ही भोजन करें।
3.भोजन बनाने का सामान जैसे गेहूं का आटा, चना,मक्का बाजारा का आटा आदि 10 दिन से पुराना न हो जितना ताजा अन्य पोषकता भी उतना ज्यादा।
4.अपने शरीर के श्रम मत कम करें।वर्ग 1-18 वर्ष खेल व हल्का कार्य, वर्ग 18 से 60 वर्ष के श्रम उम्र के अनुसार बढ़ाते जाए,60 अधिक श्रम कम करें या बंद कर दे।
5.आप अपने प्रकृति के वातावरण को ध्यान रखें।कोई ऐसे कार्य न करें जो प्रकृति के विरुद्ध हो।भारत गर्म प्रधान देश है।जहाँ पर वात रोग के70 से 75 प्रतिशत रोगी, पित्त के 10 से 12 प्रतिशत और 10 प्रतिशत कफ रोगी मिलते हैं।जबकि दण्ड देशो में जैसे यूरोप, अमेरिका, जापान, चीन आदि ठीक उल्टा होता।जैसे सुबह के भारत के लोगों को दौड़ने से वात की प्रबलता बढ़ती है।जिससे वात रोग बढ़ते हैं।इसलिए भारत के लोगों को दौड़ना नही चलना चाहिए।जबकि विदेशी लोगों को उल्टा करना चाहिए।
6.भोजन करने के बाद तुरंत पानी न पिए।
7.पानी जब भी पिए घूट-घूट कर पिए।ताकि मुख का लार पानी के अंदर जाएं।
8.पानी जब भी पिए गर्म करके पिए। मिट्टी के वर्तन में रखे पानी पिए।
9.पानी कभी भी पिए तो सबेरे उठते ही सबसे पहले कुल्ला किए बिना गर्म पानी पिए।
10.भोजन का समय निश्चित करें।जब जठर अग्नि तीब्र होती है तभी भोजन करें।सूर्य निकलने के 2:30 घंटे तक जठर अग्नि तीब्र होती है।बाद कम हो जाती है।शाम को सूर्य ढलने के 40 मिनट पूर्व जठराग्नि तीब्र होती है।अर्थात सुबह का भोजन 9 बजे से पहले करें।दोपहर का भोजन 12:30-1:00 बजे के बीच औऱ शाम 6 बजे तक। भोजन की मात्रा यदि सुबह 6 रोटी तो दोपहर4 रोटी और शाम को2 रोटी ही खाएं।इसी प्रकार अन्य में भी।