उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर जिले के शोहरतगढ नगर पंचायत क्षेत्र के गांधीनगर निवासी एक दलित व्यक्ति अपने बच्चों सहित बुधवार से जिलाधिकारी कार्यालय के बाहर धरने पर बैठ गया था।
पीड़ित का आरोप है कि नगर स्थित सरस्वती शिशु एवं विद्या मंदिर के प्रधानाचार्य ने सिर्फ इस वजह से उसके चार बच्चों को विद्यालय से निकाल दिया क्योंकि वह दलित समाज से है।
शुक्रवार को तहसीलदार राजेश कुमार अग्रवाल के हस्तक्षेप के बाद पीड़ित परिवार ने धरना समाप्त कर दिया है। प्रशासन ने बच्चों को उसी स्कूल में दाखिला दिलवाने का का आश्वासन दिया है। पीड़ित आज एसडीएम से के हाजिर होंगे।
पीड़ित शिवकुमार के मुताबिक सरस्वती शिशु एवं विद्या मंदिर शोहरतगढ में अपने चार बच्चों को पढ़ाते थे। 30 अगस्त को प्रधानाचार्य ने बच्चों को कक्षा से बाहर निकाल कर गेट बन्द कर दिया और कहा तुम्हारा नाम काट दिया गया है। अब स्कूल में पढ़ने मत आना।
पीडित शिव कुमार का कहना है कि विद्या मंदिर प्रशासन की इस प्रकार कार्रवाई से वह काफी आहत है।
विद्यालय के प्रबंधतंत्र का यह भेदपूर्ण रवैया निंदनीय है। शिवकुमार अपनी शिकायत मुख्यमंत्री समेत कई अधिकारियों से की है और न्याय की मांग की है।
शिवकुमार ने इस प्रकरण की शिकायत अध्यक्ष अनुसूचित जाति आयोग से भी की है। इस घटना से पूरे जिले में भूचाल आ गया है।
लोग विद्यालय प्रबंधतंत्र की इस कदम की आलोचना करते नजर आ रहे है। लोगों का कहना है कि आज जब हम गर्व से कहते है कि हम 21 वी सदी में जीने की बात कह रहे हैं तो बच्चों के दलित होने के कारण शिक्षा से वंचित कर देना घोर अन्याय है।