लखनऊ:धुर्वीकरण की राजनीति को बढ़ावा देने और देश में नफरत का माहौल पैदा करने वाली फिल्म राम जन्म भूमि को देश की जनता ने नकार दिया है।
फ़िल्म के डिस्ट्रीब्यूटर और सिनेमा घरों के मालिकों ने ये फिल्म अपने सिनेमा घरों में दिखाने से साफ इंकार कर दिया। यह फ़िल्म गुजरात और दो राज्यों के तीन सिनेमा घरों को छोड़कर कही भी रिलीज नही हो सकी।
जिससे फिल्म के डायरेक्टर और शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड उत्तर प्रदेश के चेयरमैन वसीम रिजवी को जबरजस्त झटका लगा है।
हम आपको बता दें कि इससे पहले भी वसीम रिजवी को इस वक्त जबरजस्त झटका लगा था। जब इन्हें यूट्यूब तक से फिल्म को हटाना पड़ा था और इसका कारण था कि इन्होंने सेंसर बोर्ड से बिना इजाजत लिए फिल्म यूट्यूब चैनल पर रिलीज कर दी थी इसके साथ ही इस फिल्म का काफी विरोध भी हुआ था।
यह फ़िल्म मुम्बई के सिर्फ एक सिनेमा घर में रिलीज़ हुई है। वह सिर्फ एक ही शो की इजाजत मिली है। इसी तरह अहमदाबाद गुजरात में एक सिनेमा घर में फ़िल्म रिलीज हुई है और यहाँ तीन शो दिखाने की इजाजत मिली है।
इसके साथ ही ना तो उत्तर प्रदेश की किसी बड़े शहर में रिलीज हुई और ना ही बिहार और दूसरे राज्यों में फ़िल्म रिलीज़ हो सकी। ये फ़िल्म बुक माई शो से भी गायब हो गई है।
इस फिल्म में कई बातें ऐसी दिखाई गई थी जिस पर मिल्लते इस्लामिया हिंद की तरफ से विरोध किया गया था। और यह कहा गया था कि यह तमाम चीजें देश के माहौल को खराब करने के लिए सामने लाई जा रही हैं। राम जन्म भूमि फिल्म में तीन तलाक दिए जाने को भी शामिल कर लिया गया था जबकि तीन तलाक का राम जन्म भूमि से कोई संबंध नहीं है।
वहीं फ़िल्म निर्माता वसीम रिज़्वी जिन पर कई मुकदमें दर्ज हैं और वह कभी भी जेल जा सकते हैं। इससे बचने के लिए यह फ़िल्म तैयार कराई थी वरना इनका भी फिल्मी दुनिया से दूर दूर तक कोई सम्बंध नही है।
राजनैतिक जानकरों का यह भी कहना है कि लोकसभा चुनाव में राममंदिर कोई मुद्दा नही रह गया तो इस पर बनी फ़िल्म का भी कोई मतलब नही रह गया इस लिए इस फ़िल्म को सबने खारिज कर दिया है।