इटवा,सिद्धार्थनगर
तहसील इटवा अन्तर्गत ग्राम पंचायत नवेल और ग्राम पंचायत औरहवा के बीच पक्की सड़क निर्माण से शेष तीन किलोमीटर का मिट्टी मार्ग आज भी अपनी प्राचीनकालीन अवस्था मे विराजमान है जबकि दोनो तरफ सडकें पक्की हो चुकी हैं।सडकों के कुछ अंश को अधूरा छोडदेनें से पूरी निर्माण का ही कोई महत्व नहीं रह जाता है क्योंकि जब बीच की कुछ दूरी गड्ढों मे से होकर गुजरना पडता हो तो परेशानियों का ऐसा अहसास होता है कि उतना उस समय नहीं होता है जब पूरी सडक पर मिट्टी के रास्ते में स्थित गड्ढों मे से सफर करना पडता था।परेशानियों का सामना उस समय भी करना पडता था और आज भी करना पडता है और यदि लापरवाहियों का यही आलम रहा तो भविष्य में भी प्राचीनकालीन सभ्यताओं का एहसास हर उस राहगीर को करना पडेगा जो इन अधूरे गड्ढा युक्त मार्गों से यात्रा करेगा और यात्रा के समापन पर यह जरूर अहसास करेगा कि कितनी जल्दी हम वर्तमान,भूत और भविष्य का दर्शन मात्र तीन किलोमीटर की यात्रा करके कर लिए ।
यह सडक बहुत बडे ग्रामीण क्षेत्रों की आबादी से संबंधित है जहां से काफी संख्या में लोग अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए यात्रा करते रहते हैं और स्वयं को बार बार कोसते रहते हैं कि काश हम किसी राजनेता को अपना प्रतिनिधि ही न चुने होते तो आज दुःख नहीं होता लेकिन आज कोई राजनेता आज अपने उन वादों को याद करनें की जहमत नहीं पालता जो उसमें चुनाव प्रचार के समय इन टूटी फूटी सडकों से गुजरते समय आम जनमानस को ख्वाब दिखा कर गया था कि यदि हम जीते तो सडक को बनवा देंगे लेकिन ऐसा कुछ हुआ नहीं लोग जीतते गये लेकिन इस अधूरी सडक को उसी हाल पर छोड़कर फोरलेन की यात्रा पर चले गए और उस भावना को हमेशा हमेशा के लिए भुला दिए लेकिन यह भूल गए कि इसी मिट्टी की सडक से होकर ही फोरलेन की यात्रा होती है और होती रहेगी।रामनरेश यादव,गफ्फार अली,संदीप चौहान,राजमन चौहान, परमेश्वर चौहान, सुनील चौहान,मेवालाल चौहान,अवनीश चौहान,रामू चौहान, शरीफ अली, रामसुबाष प्रजापति,रोहित प्रजापति,जैसराम प्रजापति, पुन्नवासी प्रजापति, इन्द्रजीत प्रजापति आदि ग्रामीणों ने बताया कि यदि इस सडक का निर्माण हो गया तो हम सभी लोग जो इस मार्ग से गुजरते है इसे इश्वर का ही चमत्कार समझेंगे लेकिन ऐसे किसी चमत्कार की कम ही उम्मीद है ।